दया
------
दया धर्म निभाया था हमने ;
बेरहम किसी निर्बोध के लिए ...
वह समझा स्वार्थ कोई ,
इस्तेमाल में लाया सिद्धि के लिए ll
वह कीचड़ लाता गया
मैं कमल लगाती गयी ,
वह बिलखता गया
मैं सुलझती गयी ll
फिर बताया जब कमल बनो ,
अलविदा किआ जिंदगी के लिए ll
No comments:
Post a Comment